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नरेला विधानसभा में दीपावली से पहले लगेंगी 5000 लाइटें- धीरेन मान

दिल्ली, सितम्बर 30: रविवार को नरेला के कम्फर्ट ज़ोन में शहीद भगत सिंह जी के जन्मदिवस के उपलक्ष में भव्य […]

हाफले का री-ट्विस्ट डिजिटल लॉक

दिल्ली , सितम्बर 20: हाफले अपने एकीकृत डिजिटल होम सिक्योरिटी सॉल्यूशंस की रेंज के साथ घर की सुरक्षा के लिए […]

हाफले लाइटिंग का स्टैनफोर्ड सीरीज आर्किटेक्चरल लाइट्स

दिल्ली , सितम्बर 20: हाफले की लूक्स रेंज ने पिछले 10 वर्षों से फर्नीचर में लाइटिंग की मांगों और नेटवर्किंग और […]

हाफले का सैंक्टस शावर क्यूबिकल

दिल्ली , सितम्बर 20: शावर क्यूबिकल्स समकालीन बाथरूमों के लिए एक व्यावहारिक और स्टाइलिश समाधान प्रदान करते हैं, एक समर्पित […]

हाफले द्वारा टेरेसा कुकरहुड्स

दिल्ली, सितम्बर 20:  हाफले के प्रीमियम उपकरण वर्ष 2014 से नवीन प्रौद्योगिकियों और व्यापक समाधानों की पेशकश करके अपने दर्शकों […]

बच्चो की आत्महत्या के जिम्मेदार माता पिता या स्कूल कोचिंग ?

नई दिल्ली, सितम्बर 20: भारत में छात्र आत्महत्या के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। जितने भारत में टॉपर्स निकल रहे हैं, उससे 10 गुना ज्यादा बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं। सिर्फ 10वीं-12वीं या कॉलेज के बच्चों के ही नहीं, बल्कि इससे भी ज्यादा कक्षा 4 से लेकर कक्षा 9 तक के बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं। इसका जिम्मेदार कौन है? माता-पिता, स्कूल या खुद बच्चे? इसी विषय पर हमारी बातचीत BIYZEN Youth Services के डायरेक्टर श्री अमनदीप से हुई।अमनदीप ने इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से समझाया।उन्होंने बताया कि भारत आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ रहा है, और इस बदलाव के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। हर इंसान को तनाव का सामना करना पड़ता है, चाहे वह 8 साल का बच्चा हो या 60 साल का वयस्क। पिछले दो दशकों में मानसिक सहनशीलता की कमी के कारण कई बदलाव हुए हैं, जिससे तनाव और आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। BIYZEN Youth Services हजारों बच्चों को आत्महत्या से बचा चुका है और उन्हें अपनी सेवाएं प्रदान कर चुका है। उनकी Stress Reliever Shield बच्चों को तनाव और आत्महत्या से बचाती है, जिससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन के मूल्यों को समझना आसान हो जाता है। अमनदीप ने बताया कि जब वह किसी माता-पिता से बात करते हैं, तो सभी यही कहते हैं कि “हमारे बच्चों को किसी प्रकार का तनाव नहीं है।” लेकिन जब उन्हें यह बताया जाता है कि जिन बच्चों ने आत्महत्या की, उनके माता पिता का भी यही जवाब था, तब उन्हें समझ आता है कि किसी की मानसिक स्थिति को बिना काउंसलिंग के समझा नहीं जा सकता, क्योंकि तनाव बताकर नहीं आता। स्कूलों में इस सेवा को देने पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिलती हैं। अमनदीप ने बताया कि जब वह स्कूलों में जाकर अपनी सेवाएं बच्चों को देने की कोशिश करते हैं, तो कुछ स्कूल इसे मुफ्त में भी बच्चों तक नहीं पहुँचने देते। दुःख की बात तो यह है कि जिन स्कूलों के बच्चे आत्महत्या कर चुके होते हैं, वे भी माता-पिता को दोषी ठहराकर बच्चों तक यह सेवा नहीं पहुँचने देते। कुछ स्कूल इस सेवा का शुल्क बहुत अधिक बताकर मना कर देते हैं, तो कुछ यह कहकर मना करते हैं कि “हमारे बच्चों को इसकी जरूरत नहीं है, बाद में आना।” […]

Toppers की पहली पसंद Vidya Question Bank-2025

मेरठ, सितम्बर 19: अनेक विशेषताओं से युक्त सर्वश्रेष्ठ परीक्षा मार्गदर्शक, इसका कोई विकल्प नहीं 100% सफलता के लिए परीक्षार्थी Vidya […]

धूमधाम से मनाया आगरा के वरिष्ठ समाजसेवी उद्योगपति डॉ विजय किशोर बंसल का जन्मदिन, देश विदेश से शुभकामनाओं का ताँता

आगरा, सितम्बर 19: समाजसेवी और उद्यमी डॉ. विजय किशोर बंसल का जन्मदिन 17 सितंबर को बड़े धूमधाम से मनाया गया। […]

23 वर्षों के संघर्ष के बाद Actor Raj Baasira का सपना हुआ साकार, ‘सतरंगी रे’ 20 सितंबर, 2024 को होगी रिलीज़

सूरत, सितम्बर 16: राजेश गांगानी urf Raj Baasira – भावनगर के एक छोटे से गांव से शुरू हुई कहानी फिल्म […]

डॉ. चिराग केवड़िया की SG IVF & Women’s Care की नई शाखा का सरथाना में उद्घाटन

केवड़िया ने 1000 से अधिक निःसंतान दम्पतियों के जीवन में खुशियाँ लाने में मदद की है। सूरत, सितम्बर 14: एसजी […]